गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज

About Dr. Nagender Kumar

Urologist, Sex counselor

गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डीसीज़ नाम सम्मिलित रूप से ऐसे लोगों को होने वाली लिवर की कई बीमारियों के लिए उपयोग किया जाता है जो शराब कम पीते हैं या नहीं पीते।

गैर-अल्कोहलिक स्टेथोहेपाटाइटिस, जो बीमारी का एक गंभीर रूप है, लिवर में दाह उत्पन्न करती है जिससे लिवर में घाव हो जाते हैं और इससे हुआ नुक्सान कभी ठीक नहीं होता। यह नुक्सान ठीक उसी तरह का होता है जैसा अत्यधिक शराब पीने से होता है। इसकी गंभीर अवस्थाओं में गैर-अल्कोहोलिक स्टेथोहेपाटाइटिस से सिर्रहोसिस और लिवर फेल भी हो सकता है।

गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डीसीज़ दुनिया भर में बहुत आम है, खासकर पश्चिमी देशों में। यह अमेरिका में पुरानी बीमारियों में सबसे आम है और जो 8 से 10 करोड़ लोगों को होती है।

गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डीसीज़ हर उम्र वालों में देखने को मिलती है, खासकर 40 और 50 का दशक पूरा कर रहे लोग जिन्हें मोटापे या मधुमेह के कारण दिल की बीमारियों का जोखिम हो। यह बीमारी मैटाबॉलिक सिंड्रोम से भी जुड़ी है जो ऐसे कई गंभीर विकार होते हैं जो पेट की चर्बी, इंसुलिन हॉरमोन उपयोग करने की अक्षमता, उच्च रक्तचाप और एक तरह की वसा ट्राईग्लिसराइड का उच्च स्तर के रूप में परिलक्षित होते हैं।

लक्षण

आम तौर पर गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डीसीज़ के कोई लक्षण या चिन्ह नहीं होते। लेकिन जब होते हैं तो इनमें निम्न हो सकते हैं:

  •  लिवर में सूजन
  •  थकान
  •  पेट में दाईं ओर ऊपर दर्द

गैर-अल्कोहलिक स्टेथोहेपाटाइटिस से सिर्रहोसिस (आगे बढ़ चुके घाव) में शामिल होते हैं: 

  •  पेट में सूजन (एसाइटिस)
  •  त्वचा के ठीक नीचे रक्त धमनियाँ चौड़ी हो जाना
  •  पुरुषों में स्तन बड़े हो जाना
  •  स्प्लीन (पेट के अंदर एक अंग) में सूजन
  •  हथेलियाँ लाल हो जाना
  •  त्वचा और आँखें पीली पड़ जाना (पीलिया)

कारण

विशेषज्ञ यह ठीक तरह से नहीं समझ पाए हैं कि कई लोगों के लिवर में चर्बी जमा होती है वहीं कुछ लोगों के साथ ऐसा नहीं होता है। इसी तरह इस तथ्य की भी समझ सीमित ही है कि कुछ फैटी लिवर में दाह विकसित हो जाता है जो आगे चलकर सिर्रहोसिस बन जाते हैं। गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डीसीज़ और गैर-अल्कोहलिक स्टेथोहेपाटाइटिस दोनों को निम्नलिखित से जोड़ा जाता है:

  •  मोटापा या वजन ज़्यादा होना
  •  इन्सुलिन प्रतिरोध, जिसमें कोशिकाएँ इंसुलिन हॉरमोन की प्रतिक्रिया के रूप में शर्करा नहीं लेती हैं
  •  रक्त में शर्करा का अधिक स्तर (हाईपरग्लाईसीमिया), जो टाइप 2 मधुमेह या मधुमेह की शुरुआत दर्शाता है
  •  रक्त में वसा की अधिक मात्रा, खासकर ट्राईग्लिसराइड।

ऐसा प्रतीत होता है कि ये सभी स्वास्थ्य समस्याएँ एक साथ मिलकर लिवर में वसा जमा होने को बढ़ावा देती हैं। कुछ लोगों में अधिक वसा लिवर कोशिकाओं के लिए जहर की तरह काम करती है जिससे दाह और गैर-अल्कोहलिक स्टेथोहेपाटाइटिस होते हैं जिससे लिवर में घाव उत्तक (फाइब्रोसिस) बन सकते हैं।

जोखिम के कारक

A wide range of diseases and conditions can increase your risk of nonalcoholic fatty liver disease, including:

ऐसी कई बीमारियाँ और विकार हैं जो आपके गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डीसीज़ के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:

  •  High cholesterol
  •  High levels of triglycerides in the blood
  •  Metabolic syndrome
  •  Obesity, particularly when fat is concentrated in the abdomen
  •  Polycystic ovary syndrome
  •  Sleep apnea
  •  Type 2 diabetes
  •  Underactive thyroid (hypothyroidism)
  •  Underactive pituitary gland (hypopituitarism)
  •  कॉलेस्ट्रोल ज़्यादा होना
  •  रक्त में ट्राईग्लिसराइड ज़्यादा होना
  •  मैटाबॉलिक सिंड्रोम
  •  मोटापा, खासकर तब जब चर्बी पेट के आस-पास जमा हो
  •  पॉलीसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम
  •  स्लीप एपनिया
  •  टाइप 2 मधुमेह
  •  थायरॉइड का कम काम करना (हाइपोथायरोइडिज़्म)
  •  पीयूष ग्रंथि का कम काम करना (हाइपोपिट्यूटेरिज़्म)

गैर-अल्कोहलिक स्टेथोहेपाटाइटिस इन समूहों में ज़्यादा संभावित होती है:

  •  Older people
  •  People with diabetes
  •  People with body fat concentrated in the abdomen
  •  बूढ़े लोग
  •  मधुमेह से ग्रस्त लोग
  •  पेट के पास चर्बी के जमावड़े वाले लोग

गैर-अल्कोहलिक स्टेथोहेपाटाइटिस और गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डीजीज़ में अंतर समझने के लिए और टेस्ट की आवश्यकता होती है।

जटिलताएँ

गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डीजीज़ और गैर-अल्कोहलिक स्टेथोहेपाटाइटिस बिगड़ जाने पर सिर्रहोसिस हो जाती है जो घावों (फाइब्रोसिस) की आखिरी स्टेज होती है। लिवर में घाव हो जाने, जैसे गैर-अल्कोहलिक स्टेथोहेपाटाइटिस के कारण दाह आदि से सिर्रहोसिस होती है। जब लिवर दाह कम करने की कोशिश करता है तो इससे घाव उत्पन्न होते हैं (फाइब्रोसिस)। दाह लगातार चलने से फाइब्रोसिस लिवर के सभी ऊत्तकों में फैलने लगती है।

यदि इसकी रोकथाम न की जाए तो सिर्रहोसिस से:

  •  Fluid buildup in the abdomen (ascites)
  •  Swelling of veins in your esophagus (esophageal varices), which can rupture and bleed
  •  Confusion, drowsiness and slurred speech (hepatic encephalopathy)
  •  Liver cancer
  •  End-stage liver failure, which means the liver has stopped functioning
  •  पेट में पानी जमा हो सकता है (एसाइटेस)
  •  आपकी श्वास नली की नसों में सूजन हो सकती है (एसोफीगल वेरिसिस) जिससे ये फट सकती हैं और रक्त्स्त्राव हो सकता है।
  •  चक्कर आना, बेहोशी और ठीक से न बोल पाना (हेपाटिक एन्सेफैलोपैथी)
  •  लिवर कैंसर हो सकता है
  •  लिवर फेल होने की अंतिम स्टेज आ सकती है जिससे लिवर काम करना बंद कर देता है।

गैर-अल्कोहलिक स्टेथोहेपाटाइटिस वाले करीब 20 प्रतिशत मामलों में आगे चलकर सिर्रहोसिस हो जाती है।

रोकथाम

अपने गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर डीजीज़ के जोखिम को कम करने के लिए:

  •  स्वस्थ खान-पान लें। ऐसा शाकाहारी खान-पान लें जिसमें प्रचुर मात्रा में फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा हों।
  •  स्वस्थ वजन मेनटेन करें। यदि आपका वजन ज़्यादा है या आप मोटे हैं तो रोज खाने वाली कैलोरी कम करें और रोज ज़्यादा एक्सर्साइज़ करें। यदि आपका वजन ठीक है तो स्वस्थ खान-पान और नियमित व्यायाम से इसे मेनटेन रखें।
  •  व्यायाम- हफ्ते में ज़्यादातर दिनों में व्यायाम करें। यदि आप नियमित रूप से व्यायाम नहीं कर रहे हों तो पहले अपने डॉक्टर से पूछ लें।

1 Response

  1. Nice blog..Thanks for sharing useful information..I am working Sunwin Healthcare, one the leading pharma company in India.

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