पेट की चर्बी कम करने के 6 विज्ञान आधारित सरल तरीके

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About Dr. Nagender Kumar

Urologist, Sex counselor

यह जरूरी नहीं है मोटापे का अर्थ अस्वस्थ शरीर ही हो।

कई ऐसे लोग हैं जिनका वजन तो ज़्यादा है लेकिन उनका स्वास्थ्य बहुत अच्छा है।

इसके विपरीत ऐसा भी भी है कि कई सामान्य वजन वाले लोगों को मोटापे से संबन्धित मैटाबॉलिक समस्याएँ हो गई हैं।

ऐसा इसलिए है क्योकि त्वचा के नीचे की वसा बहुत बड़ी समस्या नहीं होती (कम से कम स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से तो नहीं, यह कॉस्मेटिक समस्या ज़्यादा होती है)।

पेट में जमा वसा, जिसे तोंद भी कहते हैं, ज़्यादा घातक होती है।

यदि आपका वजन सामान्य हो लेकिन कमर के आसपास वसा ज़्यादा जमा हो गई हो तो आपको इसे कम करने के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए।

पेट की वसा को कमर के घेराव से मापा जाता है। इसे घर पर आसानी से टेप से मापा जा सकता है।

पुरुषों में 40 इंच (102 सेमी) से और महिलाओं में 35 इंच (88 सेमी) से अधिक कमर होने पर इसे पेट का मोटापा या एब्डोमीनल ओबेसिटी कहा जाता है।

ऐसे कई प्रमाणित उपाय हैं जो शरीर की अन्य जगहों की तुलना में पेट की वसा से निजात दिलाने में ज़्यादा प्रभावशील होते हैं।

ये रहे पेट की वसा से निजात पाने के 6 प्रमाण आधारित तरीके।

1. शक्कर न खाएँ और मीठे पेयों से बचें

अलग से मिली शक्कर बेहद खतरनाक होती है।

शोध दर्शाते हैं कि शक्कर के मैटाबॉलिक स्वास्थ्य पर अद्वितीय प्रभाव होते हैं।

शक्कर आधी ग्लूकोज़, आदि फ्रक्टोज़ होती है तथा सिर्फ लीवर में ही मैटाबॉलाइज़ होती है।

जब आप अत्यधिक मात्रा में रिफाइंड शक्कर खाते हैं तो लीवर पर फ्रक्टोज़ का ओवरलोड बढ़ जाता है और यह शक्कर वसा में बदल जाती है।

कई शोधों ने दर्शाया है कि अधिक शक्कर, खासकर अत्यधिक मात्रा में फ्रक्टोज़ से पेट की चर्बी बढ़ जाती है।

कुछ लोग मानते हैं कि शक्कर के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव की प्राथमिक क्रियाविधि यही है। इससे पेट की और लिवर की चर्बी बढ़ जाती है जिससे इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ जाता है और कई तरह की मैटाबॉलिक समस्याएँ उबरने लगती हैं।

इस मामले में तरल रूप में शक्कर तो और भी खराब होती है। ठोस रूप के विपरीत तरल रूप में लेने से हमारे दिमाग में यह ठीक से “रिकॉर्ड” नहीं होता कि हमने कितनी कैलोरियाँ ले लीं हैं। इसलिए यदि आप मीठे पेय पीते हैं तो अधिकतर जरूरत से ज़्यादा कैलोरियाँ हमारे शरीर में चली जाती हैं।

शोध दर्शाते हैं कि रोज मीठे पेय पीने से बच्चों में मोटापे का जोखिम 60% बढ़ जाता है।

अपने खान-पान में शक्कर की मात्रा कम करने का ठोस प्रयास करें और कोशश यही करें कि आप मीठे पेय पीना बंद ही कर दें।

मीठे पेयों में शक्कर से मीठे किए गए पेय, जूस तथा अन्य हाई-शुगर वाले स्पोर्ट्स ड्रिंक शामिल होते हैं।

याद रखें कि साबुत फलों पर यह लागू नहीं होती जो बहुत स्वास्थ्यवर्धक होते हैं और इनमें प्रचुर मात्रा में रेशे पाए जाते हैं जो फ्रक्टोज़ के हानिकारक प्रभावों को कम करते हैं।

फल से मिलने वाले फ्रक्टोज़ की मात्रा रिफाइंड शक्कर वाले खानों से मिलने वाले फ्रक्टोज़ की तुलना में नगण्य होती है।

यदि आप रिफाइंड शुगर कम करना चाहते हैं तो आपको खाद्य पदार्थों पर दिए गए लेबल पढ़ने चाहिए। हैल्थ फूड के नाम पर बेचे जाने वाले कई खाद्य पदार्थों में भी अत्यधिक मात्रा में शक्कर मिलाई जाती है।

2. पेट की चर्बी कम करने के लिए ज़्यादा प्रोटीन लेना एक बहुत बढ़िया दीर्घकालिक रणनीति है

वजन कम करने के लिए प्रोटीन सबसे महत्वपूर्ण मैक्रोन्यूट्रीएंट (पोषक पदार्थ) होता है।

प्रोटीन से 60% तक भूख कम हो जाती है, 80-100 कैलोरी प्रतिदिन तक मैटाबॉलिज़्म बढ़ जाता है और आप रोजाना 441 तक कम कैलोरी ग्रहण करते हैं।

यदि आपका उद्देश्य वजन घटाना है तो अपने भोजन में प्रोटीन शामिल करना एक सबसे प्रभाशाली बदलाव है जो आप कर सकते हैं।

इससे न सिर्फ आपका वजन कम होता है बल्कि इससे वजन कम करने का प्रयास बंद कर देने के बाद मोटापा वापस नहीं चढ़ने में भी मदद मिलती है।

ऐसे भी प्रमाण हैं कि प्रोटीन पेट की चर्बी से लड़ने के लिए खास तौर पर प्रभावशाली होता है।

एक शोध ने दर्शाया है कि खाए गए प्रोटीन की मात्रा और गुणवत्ता तथा पेट की चर्बी का विपरीत संबंध होता है। अर्थात, जो लोग ज़्यादा खाते हैं लेकिन साथ ही ज़्यादा प्रोटीन लेते हैं, उनके पेट में वसा कम जमती है।

डेनमार्क में किए गए एक और शोध ने दर्शाया था कि प्रोटीन और 5 साल की अवधि में पेट की चर्बी बढ़ने के जोखिम को कम करने में काफी संबंध है।

इस शोध ने यह भी दर्शाया कि रिफाइंड कार्ब और तेल भी पेट की चर्बी को बढ़ाने से संबन्धित हैं लेकिन फल और सब्जियाँ खाने से पेट की वसा कम हो गई।

अधिकतर शोध जिनमें प्रोटीन को प्रभाशाली सिद्ध किया गया था, उनमें पूरी कैलोरी का 25-30% हिस्सा प्रोटीन के रूप में लिया गया था। आपको भी यही लक्ष्य बना कर चलना चाहिए।

इसलिए अपने भोजन में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा वाले भोजन जैसे अंडे, मछली, समुद्री भोजन, डालें, सूखे मेवे, माँस, दूध से बने पदार्थ तथा कुछ साबुत अनाज लें। ये भोजन में प्रोटीन के सबसे अच्छे स्त्रोत होते हैं।

यदि आपको अपने खाने में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन शामिल करने में समस्या आ रही हो तो अपना कुल प्रोटीन उपभोग बढ़ाने का एक स्वस्थ और आसान तरीका है किसी अच्छी क्वालिटी के प्रोटीन सप्लिमेंट (जैसे व्हे प्रोटीन) लेना।

यदि आप शाकाहारी या वीगन हैं तो इस लेख को पढ़ें जिसमें भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के बारे में बताया गया है।

बोनस टिप: खाना बनाने के लिए नारियल के तेल का इस्तेमाल करके देखें। कई शोधों ने दर्शाया है कि रोज 30 मिली (लगभग 2 चम्मच) नारियल का तेल खाने से पेट की चर्बी थोड़ी कम हो जाती है।

3. अपने भोजन में से कार्बोहाइड्रेट कम करें

चर्बी कम करने में कार्बोहाइड्रेट कम करना बहुत असरदार होता है।

इस तथ्य को कई शोधों ने प्रमाणित किया है। जो लोग कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम कर लेते हैं, उनकी भूख कम हो जाती है और वजन घाट जाता है।

20 से ज़्यादा रैंडम नियंत्रित परीक्षणों ने दर्शाया है कि कम वसा वाली डाइट की तुलना में कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट से 2-3 गुना ज़्यादा तेजी से वजन कम होता है।

यह नतीजे तब भी ऐसे ही आए थे जब कम कार्बोहाइड्रेट वाले समूह को जितनी मर्जी खाने की अनुमति दे दी गई थी जबकि कम वसा वाले समूह को कम कैलोरी देकर भूखा रखा गया था।

कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट से शरीर से पानी का वजन तेजी से कम हो जाता है और झटपट नतीजे मिलते हैं। आपको कुछ ही दिनों में वजन में कमी नज़र आने लगती है।

ऐसे भी कई शोध हैं जिनमें कम कार्बोहाइड्रेट और कम वसा वाली डाइटों की तुलना करके यह दर्शाया गया कि कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट खासकर पेट, अन्य अंगों और लीवर के आस-पास की चर्बी घटाने में असरदार होती हैं।

इसका अर्थ यह होता है कि कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट से घटाई गई वसा में ज़्यादा अनुपात खतरनाक और बीमारी लाने वाली पेट की वसा का होता है।

यदि आप रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट (सफ़ेद ब्रेड, पास्ता आदि) नहीं लेंगे तो इतना ही पर्याप्त होता है, खासकर तब जब आप उचित मात्रा में प्रोटीन ले रहे हों।el.

लेकिन यदि आपको तेजी से वजन कम करना हो तो कार्बोहाइड्रेट की मात्रा 50 ग्राम प्रतिदिन तक कम कर लें। इससे आपका शरीर कीटोसिस में चला जाएगा, जिससे भूख मर जाएगी और वह ऊर्जा के लिए वसा जलाने लगेगा।

हाँ, दुबलेपन के अलावा भी कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट के कई अन्य स्वास्थ्य लाभ होते हैं। जैसे, टाइप 2 मधुमेह होने पर इनका जीवनदायी असर होता है।

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4. रेशेदार भोजन ज़्यादा लें, खासकर दलदले रेशे

भोजन में रेशे ज़्यादातर अपचनीय वानस्पतिक पदार्थ होते हैं।

अधिकतर ऐसा दावा किया जाता है कि प्रचुर मात्रा में वानस्पतिक रेशे खाने से वजन कम करने में मदद मिलती है।

यह सच है लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सभी रेशे एक जैसे नहीं होते।

ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकतर घुलनीय तथा दलदले रेशे वजन पर प्रभाव डालते हैं।

ऐसे भी रेशे होते हैं जो पानी से जुड़कर एक गाढ़ी जैल बना लेते हैं जो आँतों में “बैठ” जाती है।

इस जैल से पेट और आँतों से गुजरने वाले भोजन की गति काफी कम होकर पाचनतंत्र धीमा हो जाता है और पोषक तत्व ठीक से शरीर को लगते नहीं हैं। इसका परिणाम यह होता है कि आपको लंबे समय तक पेट भरा हुआ लगता है और भूख कम लगती है।

एक पुनरीक्षण ने पाया कि रोज 14 ग्राम अतिरिक्त रेशे लेने से कैलोरी खाने में 10% तक की कमी आई और 4 माह की अवधि में 2 किलो (4.5 पाउंड) तक वजन कम हो गया।

एक 5-वर्षीय शोध में रोज 10 ग्राम घुलनीय रेशे खाने को पेट की चर्बी में 3.7% की कमी से संबन्धित पाया गया हालांकि इसका त्वचा के नीचे की चर्बी पर कोई असर नहीं हुआ था।

यह ऐसा दर्शाता है कि घुलनीय रेशे पेट की नुक्सानदेह वसा को घटाने में खासे असरदार होते हैं।

ज़्यादा रेशे पाने का सबसे अच्छा तरीका होता है ज़्यादा सब्जियाँ और फल खाना। दालें भी रेशों के अच्छे स्त्रोत होती हैं और ओट्स में भी प्रचुर मात्रा में रेशे होते हैं।

आप रेशों के लिए कोई फाइबर सप्लिमेंट, जैसे ग्लूकोमनान भी ले सकते हैं। यह आज उपलब्ध डाइटरी रेशों में सबसे ज़्यादा दलदला है और कई शोधों ने इससे वजन कम होना दर्शाया है।

5. पेट की चर्बी कम करने में व्यायाम बहुत असरदार होता है

व्यायाम कई कारणों से महत्वपूर्ण है।

यदि आप लंबी ज़िंदगी जीना चाहते हैं और स्वस्थ रहकर बीमारियों से दूर रहना चाहते हैं तो व्यायाम जरूर करें।

व्यायाम के सभी स्वास्थ्य लाभों का विस्तार से वर्णन करना तो इस लेख की परिसीमा में नहीं आता लेकिन व्यायाम से पेट की चर्बी कम होना प्रमाणित है।

हाँ, यह ध्यान रखें कि मैं यहाँ पेट के व्यायामों की बात नहीं कर रहा हूँ। किसी खास जगह की वसा कम करना संभव नहीं होता और आप जितने भी क्रंचेस कर लें, ऐसा नहीं होगा कि आपके पेट की जगह भर से चर्बी चली जाए।

एक शोध में पता चला कि 6 हफ्ते तक केवल पेट की मसल्स का व्यायाम करने से कमर का घेराव या पेट की वसा में कोई कमी नहीं आई।

लेकिन फिर भी, दूसरे प्रकार के व्यायाम काफी असरदार हो सकते हैं।

कई शोधों ने दर्शाया है कि एरोबिक एक्सर्साइज़ (जैसे चलना, दौड़ना, तैराकी आदि) पेट की चर्बी में अत्यधिक कमी लाते हैं।

एक और शोध ने पाया कि व्यायाम करने से पेट पर वापस वसा चढ़ना पूरी तरह रुक गया। इससे यह सिद्ध होता है कि वजन मेनटेन करने के लिए व्यायाम अत्यावश्यक है।

व्यायाम से दाह कम होता है और खून में शक्कर की मात्रा नियंत्रित होकर मोटापे से संबन्धित अन्य सभी मैटाबॉलिक विकार कम हो जाते हैं।

6. अपने खाद्य पदार्थों पर नज़र रखें और जानें आप असल में कितना खा रहे हैं

यह तो हर कोई जानता है कि आप जो खाते हैं वह महत्वपूर्ण होता है।

लेकिन, आश्चर्य की बात यह है कि अधिकतर लोगों को एहसास ही नहीं होता कि वे वाकई में खा क्या रहे हैं।

लोग सोचते हैं कि वे “हाई प्रोटीन”, “लो-कार्ब” आदि खा रहे हैं लेकिन उनका अंदाज़ा बहुत कम या ज़्यादा होता है।

मुझे लगता है जो भी वाकई में अपनी डाइट को सटीक करना चाहता है, उसे कुछ दिनों तक अपने खान-पान पर नज़र रखना अत्यंत आवश्यक होता है।

इसका अर्थ यह नहीं होता कि आपको अब अपनी बाकी ज़िंदगी में हर चीज तौल कर या नाप कर ही खानी है लेकिन कभी-कभार लगातार कुछ दिन ऐसा कर लेने से आप यह समझ सकेंगे कि आपको कहाँ बदलाव करना है।

यदि आप ऊपर बताए अनुसार अपने आहार की कैलोरियों का 25-30% तक ग्रहण करना चाहते हैं तो केवल ज़्यादा प्रोटीन वाले खाने लेने से बस काम नहीं चलेगा। आपको अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ठीक से माप कर मात्रा नियंत्रित करनी होगी।

इन लेखों में आपको कैलोरी कैल्कुलेटर के बारे में जानकारी मिलेगी और यहाँ आप फ्री ऑनलाइन टूल और एप भी पाएंगे जिनसे आपको पता चल सकेगा कि आखिर आप खा क्या रहे हैं।

मैं खुद भी कुछ महीनों में एक बार ऐसा कर लेता हूँ। इस दौरान मैं जो भी खाता हूँ उसका वजन करके उसे मापता हूँ ताकि मुझे अपनी डाइट का पूरा अंदाज़ लग सके।

ऐसा करने से मुझे मालूम रहता है कि मुझे अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कहाँ बदलाव करना है।

खुश रहें और सेहतमंद रहें, हमारी शुभकामनाएँ!

खुश रहिये!

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