पुरुष रजोनिवृत्ति। यह क्या होती है और इससे कैसे निपटें?

 

रजोनिवृत्ति का अर्थ है उम्र और आंतरिक बदलावों के कारण मानव प्रजनन प्रणाली का धीरे-धीरे क्षय होना।

सामान्य तौर पर माना जाता है कि रजोनिवृत्ति केवल औरतों में होती है। लेकिन यह सही नहीं है। पुरुषों को भी ऐसे ही प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टर कई बार इस पीरियड को एंड्रोपौज़ (महिलाओं के मीनोपौज़ की तरह) कहते हैं।

पुरुष रजोनिवृत्ति के लक्षण

शारीरिक बदलाव

  1. ऊर्जा में कमी आना।
  2. ज़्यादा पसीना आना।
  3. गंजापन।
  4. मसल कम हो जाना।
  5. त्वचा में थुलथुलपन।
  6. वजन बढ़ जाना।
  7. रोग-प्रतिरोधी क्षमता कम हो जाना।

मनोवैज्ञानिक बदलाव

  1. बार-बार मूड बदलना।
  2. चिंता बढ़ जाना।
  3. स्मृति और एकाग्रता कम हो जाना।

प्रजनन स्वास्थ्य में बदलाव

  1. स्तंभन दोष।
  2. गर्भाधान न करवा पाना।
  3. कामेच्छा में कमी।
  4. शीघ्रपतन

हृदय प्रणाली में बदलाव

  1. टेस्टोस्टेरोन डेफ़िशिएंसी सिंड्रोम (टीडीएस)।
  2. रक्त में एंड्रोजेन्स की कमी।
  3. बार-बार चक्कर आना।
  4. चेहरे से गर्मी और लाली झलकना।
  5. रक्तचाप कम या ज़्यादा हो जाना।
  6. टैकीकार्डिया (ज़ोर-ज़ोर से दिल धड़कना)।

 

पुरुष रजोनिवृत्ति का मुख्य कारण है रक्त में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आ जाना।

यह किस उम्र से शुरू होता है?

 

आम तौर पर एंड्रोपौज़ 40-70 की उम्र के बीच होता है।

अर्ली एंड्रोपौज़ 40 की उम्र से पहले शुरू हो सकता है।

आम तौर पर एंड्रोपौज़ 40-60 के बीच की उम्र में होता है। ऊपर बताए लक्षण इस उम्र में सामान्य माने जाते हैं।

लेटर एंड्रोपौज़ 60 साल की उम्र के बाद आता है।

दुर्भाग्य से आधुनिक पुरुष में अर्ली एंड्रोपौज़ ही ज़्यादा देखने में आ रहा है। पहले मनोवैज्ञानिक बदलाव शुरू हो जाते हैं और फिर दूसरे बदलाव आते हैं।

जल्दी आने वाली पुरुष रजोनिवृत्ति के जाहिर शारीरिक संकेत

पहले शारीरिक बदलाव सेक्स में नज़र आते हैं। जैसे:

  • कामेच्छा में कमी;
  • शीघ्रपतन;
  • संभोग में बैठ जाना;
  • साँस फूलना, थोड़ी मेहनत में ही तेजी से दिल धड़कना।

अर्ली एंड्रोपौज़ के कारण

  1. ज़्यादा शराब पीना।
  2. धूम्रपान।
  3. एंडोक्राइन विकार।
  4. वसा-युक्त या तली हुई चीजें ज़्यादा खाना।
  5. भावनात्मक तनाव।
  6. दीर्घकालिक प्रजनन प्रणाली की बीमारियाँ।
  7. डायबिटीज़ मेलीटस।
  8. उच्च रक्तचाप।
  9. प्रदूषित पर्यावरण में रहना।
  10. अनियमित सेक्स जीवन। लंबे समय तक सेक्स न करना अर्ली एंड्रोपौज़ का सबसे आम कारण है।

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पुरुष और महिला रजोनिवृत्ति में क्या अंतर है?

मुख्य अंतर यह है कि पुरुष अभी भी गर्भाधान करवा सकते हैं (महिलाएँ गर्भ धारण नहीं कर सकतीं), हालांकि उनकी क्षमता कम हो जाती है।अन्य अंतर:

  • उम्र: रजोनिवृत्ति अधिकतर महिलाओं में 50 की उम्र के बाद आती है लेकिन पुरुषों में 45-50 के बीच कभी भी आ सकती है;
  • भावनाएँ: आम तौर पर महिलाओं में पुरुषों की तुलना में भावनात्मक स्थिरता बेहतर होती है;
  • शरीर के सिस्टम: औरतों की प्रजनन प्रणाली का बहुत क्षय हो जाता है, वहीं पुरुषों में हृदय प्रणाली का ज़्यादा क्षय होता है।

 

एंड्रोपौज़ की पहचान

मूत्र-रोग विशेषज्ञ या एंड्रोलॉजिस्ट जाँच करके और स्वास्थ्य संबंधी आंकड़े, सेक्स की नियमितता, हॉरमोन के ब्लड-टेस्ट, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ़ी और प्रोस्ट्रेट की अल्ट्रासाउंड की मदद से एंड्रोपौज़ की पहचान कर सकते हैं।

पुरुष रजोनिवृत्ति जल्दी आने से कैसे बचें?

एंड्रोपौज़ पूरी तीव्रता से औसत 5 साल चलता है। लेकिन नीचे बताए तरीके इस्तेमाल करके आप इसे 2 साल कर सकते हैं। आप इसकी अवधि को जितना कम करेंगे, हार्ट-अटैक और लकवे की संभावना उतनी ही कम हो जाएगी। वैज्ञानिकों ने हृदय रोगों और एंड्रोपौज़ के बीच में सीधा संबंध स्थापित किया है।

यदि आपको भी खड़ा करने और उसे मेनटेन करने में परेशानियाँ आ रही हों तो हम ऐसे पोज चुनने की सलाह देंगे जिनमें रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है, जैसे मिशनरी, डॉगी स्टाइल, या इसी तरह के पोज। जब शरीर सीधा खड़ा होता है तो लिंग की ओर रक्त ज़्यादा और आसानी से बहता है। इसके उलट औरत के ऊपर होने पर रक्त उल्टी ओर बहता है। इससे स्तंभन दोष ठीक करने में भी मदद मिलती है।

 

2. खास पुरुष जैल उपयोग करें

मेल इंटीमेट जैल केवल चिकनाई के लिए नहीं होतीं। इनसे स्तंभन और टेस्टोस्टेरोन संबंधी कई समस्याएँ ठीक हो जाती हैं। अच्छी गुणवत्ता वाली जैल (Titan Gel, Xtra Man, आदि) में ऐसे पदार्थ होते हैं जो टेस्टोटेरोन के उत्पादन को उत्प्रेरित करके जननांगों की ओर रक्त प्रवाह तेज करते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि आप एक साथ दो समस्याएँ हल कर लेते हैं: हॉरमोनल समस्याएँ ठीक कर लेना और स्तंभन बेहतर कर लेना। नियमित उपयोग से लिंग की लंबाई और मोटाई दोनों बढ़ जाते हैं क्योंकि ऊतकों में ज़्यादा रक्त भरने लगता है।

 

3. केगेल मसल की एक्सर्साइज़ करें

इस मसल का वैज्ञानिक नाम है प्यूबो-कोसिजियल मसल। इससे ही प्रजनन प्रणाली की टोन और प्रोस्ट्रेट ग्रंथि का स्वास्थ्य निर्धारित होता है।

इस मसल की एक्सर्साइज़ करने के लिए पेशाब करते हुए बीच में रोक लें और कुछ सेकंड तक भींचें। धीरे-धीरे अवधि बढ़ाते जाएँ और ज़्यादा बार भींचें और पेशाब न करते हुए भी इसकी प्रैक्टिस करना सीख लें।

केगेल मसल कहीं भी भींची जा सकती है और किसी को पता नहीं चलता कि आप क्या कर रहे हैं आप यह घर पर, काम पर, बस-स्टॉप पर या स्कूल में कर सकते हैं।

4. स्वस्थ भोजन खाएं

पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए निम्नलिखित खाने की चीजें बड़ी उपयोगी हैं।

  1. ताजी हर्ब्स (पार्सले, डिल, सेलेरी, लेटस, पालक)।
  2. खट्टे फल।
  3. सेब।
  4. दही से बनी चीजें
  5. पतला माँस
  6. टमाटर, प्याज, लहसुन, पत्तागोभी
  7. घोंघे, कैवियार, लाल मछलियाँ और अन्य समुद्री भोजन
  8. सूखे मेवे।

 

5.गरम और ठंडे पानी से बदल-बदल कर नहाएँ (कांट्रास्ट शावर)

ठंडे और गर्म पानी के बीच बदलाव की आदर्श संख्या 6 बार होती है। हर सेशन को गर्म पानी से शुरू करें और धीरे-धीरे ठंडे पानी में बदलते जाएँ।

कांट्रास्ट शावर से रक्त प्रवाह तेज होता है और टेस्टोस्टेरोन का संश्लेषण उत्प्रेरित होता है।

6.रोक-थाम

सबसे अच्छा इलाज है रोक-थाम। यहाँ हम कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं जिनसे एंड्रोपौज़ आना धीमा हो जाता है या इसके लक्षण कम हो जाते हैं।

  1. 35 के बाद मूत्र-रोग विशेषज्ञ से नियमित जाँच।
  2. शारीरिक गतिविधि।
  3. अपने खाने से वसा-युक्त और तली चीजें निकाल दें।
  4. योग, ध्यान, और अन्य शांति देने वाली क्रियाएँ।
  5. नियमित सेक्स जीवन और एक पार्टनर से वफादारी।
  6. पर्याप्त नींद (रोज 7-8 घंटे)।
  7. धूम्रपान और शराब जैसी बुरी आदतों का त्याग
  8. जीवन में तनाव कम करना और एक लयबद्ध, शांत जीवन जीना।

 

एंड्रोपौज़ और मोटापा

मोटे लोगों को एंड्रोपौज़ जल्दी होने की संभावना होती है। यही नहीं, अधिक वजन (खासकर पेट के आसपास) से टेस्टोस्टेरोन स्तर और रक्त प्रवाह पर बुरा असर पड़ सकता है जिससे मर्दानगी कम होती है।

Dr. Nagender Kumar :Urologist, Sex counselor